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रंग क्या है :'' हर रंग कुछ कहता है, रंग क्या है , रंगों का हमारे जीवन पर क्या प्रभाव , रंग बिरंगी दुनिया , रंग का महत्व , राग और रंग

 सृष्टि महज एक खेल है राग और रंगों का। फागुन के महीने में यह खेल अपने चरम पर होता है, प्रीति के मनोहारी बालू अपने रूप को निहार कर जीवो के भीतर राग हिलोरे लेने लगता है। यह भीतर की हिलोरे जब बाहर प्रकट होती है तो उत्सव का रूप ले लेती है और रंगों का पर्व होली मनाया जाता है। हर इंसान किसी ना किसी रंग में रंगा होता है, किसी ना किसी राग में मस्त है। दुनिया के रंगमंच पर विभिन्न भूमिकाएं अदा कर रहे इंसान अलग-अलग रंगों की शरण लेते हैं। साधु सन्यासी गेरुआ पहनते हैं तो समाजसेवी सफेद,भाई सिनेमा के पदों पर अभिनय कर रहे कलाकार दर्शकों का दिल बहलाने के लिए रंग बिरंगे वस्त्रों में पेश आते हैं। आप भी ढूंढ ही अपना रंग जो आपकी भूमिका को निखारे


लाल : जो रंग सबसे ज्यादा आपका ध्यान अपनी ओर खींचता है वह लाल रंग, क्योंकि सबसे ज्यादा चमकीला लाल रंग ही है। बहुत सी चीजें जो आपके लिए महत्वपूर्ण होती है। रक्त का रंग लाल होता है। उगते सूरज का रंग भी लाल होता है। मानवीय चेतना में अधिकतम कंपन लाल रंग ही पैदा करता है। जोश और उल्लास का रंग लाल ही है। आप कैसे भी व्यक्ति हो,लेकिन अगर आप लाल कपड़े पहन कर आते हो तो लोगों को यही लगेगा कि आप जोश से भरपूर है, भले ही आप हकीकत में ऐसे ना हो।

इस तरह लाल रंग के कपड़े आपको अचानक जोशीला बना देते हैं। देवी ( चैतन्य का नारी  स्वरूप ) इसी जोश और उल्लास का प्रतीक है। उनकी ऊर्जा में भरपूर कंपन और उल्लास होता है। देवी से संबंधित कुछ खास किस्म की साधना करने के लिए लाल रंग की जरूरत होती है।

काला : कोई चीज काली प्रतीत होती है,इसकी वजह यह है कि यह कुछ भी परावर्तित नहीं करती, सब कुछ सोख लेती है।अगर आप लगातार लंबे समय तक काले रंग के कपड़े पहनते हैं और तरह-तरह की स्थितियों में संपर्क में आते हैं तो आप देखेंगे कि आपकी उर्जा कुछ ऐसे घटने बढ़ने लगेंगे कि आपके भीतर सभी भागों को शोक लेंगे और आपकी मानसिक हालात को बहता है आज तीर और असंतुलित कर देगी।

लेकिन अगर आप किसी ऐसी जगह है जहां एक विशेष कंपन और शुभ ऊर्जा है तो आप के पहनने के लिए सबसे अच्छा रंग काला है क्योंकि ऐसी जगह से आप शुभ ऊर्जा ज्यादा से ज्यादा आत्मसात करने चाहेंगे।

शिव को हमेशा काला माना जाता है क्योंकि उन्हें खुद को बचाए रखने की भावना नहीं है, इसलिए हर चीज को ग्रहण कर लेते हैं, किसी भी चीज का विरोध नहीं करते।यहां तक कि जब उन्हें बेच दिया गया तो उसे भी उन्होंने सहजता से पी लिया।

नीला : नीला रंग सबको संभावित करके चलने वाला रंग है। इस जगत में जो कोई भी चीज बहुत विशाल और आपकी समझ से परे है, उसका रंग आमतौर पर मिला है, चाहे भाई आकाश हो या समुंदर हो। जो कुछ भी आपकी समझ से बड़ा है वह नीला होगा, क्योंकि नीला रंग सब को शामिल करने का अधार है। कृष्ण के शरीर का रंग नीला माना जाता है।इस नीले पन का मतलब जरूरी नहीं है कि उनका त्वचा का रंग नीला था। हो सकता है, बे श्याम रंग के हो, जो लोग जागरूक थे, उन्होंने ने उनकी ऊर्जा के नीले पन को देखा और उनके वर्णन नीले बढ़ने वाले तौर पर किया।

कृष्ण के प्रति के बारे में की गई सभी व्यक्तियों में नीला रंग आम है, क्योंकि सभी को साथ लेकर चलना उनका ऐसा गुण था, जिससे कोई भी इनकार नहीं कर सकता। भाई कौन थे वह क्या थे इस बात को लेकर तमाम विवाद है,लेकिन इस बात से कोई इनकार नहीं कर सकता कि उनका स्वभाव सभी के साथ लेकर चलने वाला था।

गेरुआ : यह रंग एक प्रतीक है। सुबह सुबह जब सूर्य निकलता है, तो उसकी किरणों का रंग केसरिया होता है या जिसे भगवा, गेरुआ या नारंगी रंग भी कह सकते हैं। यही दिखाने के लिए आपकी दुआ रंग पहनते हैं कि आपके जीवन में कि नया सवेरा हो गया है। दूसरी चीज बाहरी दुनिया। जब आप यह रंग पहनते हैं तो लोग जान जाते हैं कि यह एक सन्यासी है। ऐसे में कम से कम वे अपना सिगरेट का डिब्बा खोल कर आपके सामने पेश तो नहीं करेंगे। आपसे बात क्या करनी है और क्या बात नहीं करनी है, इसे लेकर वे भी थोड़े सावधान रहते हैं, तो इस तरह दुनिया से आपको मदद मिलती है।

हर रंग का एक चक्र होता है। हमारे शरीर में मौजूद सातों चक्र का अपना एक अलग रंग है। भगवा या गेरुआ रंग आज्ञ चक्र का रंग है और आज्ञ ज्ञान प्राप्ति का सूचक है। तो जो लोग आध्यात्मिक पद पर होते हैं बे उच्चतम चक्र तक पहुंचना चाहते हैं इसलिए वे इस रंग को पहनते हैं।

सफेद : सफेद यानी सोयत दर्शन कोई रंग नहीं है। यह कह सकते हैं कि अगर कोई रंग नहीं है तो यह सफेद है।तो जो लोग आध्यात्मिक पद पर है और जीवन में तमाम दूसरे पहलुओं में उलझे हैं वे अपने आसपास कुछ बटोर ना नहीं चाहते हैं। वे जीवन में हिस्सा लेना चाहते हैं लेकिन कुछ भी इकट्ठा नहीं करना चाहते हैं। आप इस दुनिया से निर्मित होकर निकल जाना चाहते हैं और इस काम में श्वेत रंग आपकी मदद करता है। सफेद रंग सब कुछ बाहर की ओर भी करता है कुछ भी पकड़ कर नहीं रखता ऐसे बनकर रहना अच्छी बात है।इसलिए जब आप आध्यात्मिक पथ पर आगे बढ़ते हैं और कुछ खास तरह से जीवन के संपर्क में आते हैं तो सफेद वस्त्र पहनना सबसे अच्छा होता है।पहनावे के मामले में यह आराम के मामले में आप पाएंगे अगर एक बार आप सफेद कपड़े पहनने के आदी हो गए तो दूसरी रंगों के कपड़े पहनने में कहीं ना कहीं अंतर आएगा ही जरूर।


रंग क्या है

इस जगत में किसी भी चीज में रंग नहीं है। पानी, हवा, अंतरिक्ष और पूरा जगत ही रंगहीन है। यहां तक कि जिन जिन चीजों को आप देखते हैं वह रंग ही नहीं है। रंग केवल प्रकाश में होता है। रंग वह नहीं है जो वह दिखाता है बल्कि वह है जो बहुत याद आता है। आप जो भी रंग बिखरते हैं वही आपका रंग हो जाएगा। आप जो अपने पास रख लेंगे वह आपका रंग नहीं होगा ठीक इसी तरह से जीवन में भी कुछ भी आप देते हैं तो वही आपका गुण हो जाता है

अगर आप आनंद देंगे तो लोग कहेंगे आप एक आनंदित इंसान हैं

रंगों का असर

रंगों में तीन रंग सबसे प्रमुख है - लाल हरा और नीला। इस जगत में मौजूद बाकी सारे रंग इन्हीं तीनों रंगों से पैदा किए जा सकते हैं। हर रंग का आपके ऊपर एक खास प्रभाव होता है। कुछ लोग रंग चिकित्सा यानी कलर थेरेपी भी कर रहे हैं क्योंकि रंगों का आपके ऊपर एक खास किस्म का प्रभाव होता है।

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