कोरना से सबक : प्रकृति को हम अभी भी कुछ दे सकते है।
आज पूरा विश्व कोरना महामारी से लड़ रहा है और भारत खासकर इस महामारी से जूझ रहा है। भारत में कोरना महामारी ने कहर ढा रखा है , कोरना संक्रमण की पहली लहर शहर तक सीमित थी पर दूसरे लहर गांवों तक पहुंच गई जिससे बहुत जनमानस की हानि हुई है।
कोरना महामारी से हमें कुछ सबक लेना चाहिए कि प्रकृति से हमे हमेशा लेते न रहना चाहिए बल्कि कुछ देने की कोशिश करना चाहिए क्योंकि प्रकृति अनंत काल से और हमारी लिए हमारे जन्म से देती आ रही हैं किसी न किसी रूप में जो कि हमारे जीवन के लिए बहुत आवश्यक है।
अब हमारा भी कर्तव्य बनता है कि हम भी प्रकृति को कुछ देने का प्रयास करें वैसे तो प्रकृति को हमसे कुछ लेने की जरूरत नहीं है परन्तु हमें अब सबकुछ नया करने की आदत हो गई है। हम पुरानी चीजों को नष्ट कर रहे हैं और नमी चीजों का निर्माण कर रहे हैं जिसे हमने चर्चित शब्द इन्फ्रास्ट्रक्चर नाम दिया है।
आज हमे यह सोचने की जरूरत है कि हम प्रकृति के कैसे अत्यधिक से अत्यधिक दे सके यानि कि हम पर्यावरण को कैसे कुछ दे सके ।
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